इस ब्लॉग के पाठक उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। उनमें से अधिकतर मेरे मित्र हैं और उनमें से कई का कहना है कि मुझे इस ब्लॉग पर टिप्पणी करने की सुविधा आरम्भ कर देनी चाहिये। लेकिन मुझे इस बारे में कई आशंकाएं हैं। पहली बात तो यह है कि इस ब्लॉग पर कोई टिप्पणी करेगा क्यों? चंद पाठक हैं और वे मित्र होने के कारण पोस्ट पर अपनी टिप्पणी ईमेल या फ़ोन के ज़रिये बता ही देते हैं। तो फिर टिप्पणी की सुविधा का क्या फ़ायदा। फिर ऊपर से हिन्दी ब्लॉगिंग की स्थिति देखते हुए वैसे ही टिप्पणियों के चक्कर में फंसने से डर लगता है। यहाँ हर दूसरे दिन कोई नया "चटपटा" विवाद खड़ा ही मिलता है। कई दिन से सोच रहा हूँ कि अब भाषा बदल लूं और अंग्रेज़ी में लिखना शुरु कर दूँ पर ब्लॉग लिख सकने लायक दक्षता शायद अंग्रेज़ी में मेरी नहीं है।
ख़ैर, फ़िलहाल मैंने इस ब्लॉग की पोस्ट्स पर टिप्पणी देने की सुविधा शुरु कर दी है। आशा है कि पाठक रचनात्मक चर्चा के लिये इस सुविधा का प्रयोग करेंगे।
Anonymous said...
January 5, 2010 at 7:14 PM
good idea
दिनेशराय द्विवेदी said...
January 5, 2010 at 7:35 PM
भाई टिप्पणी बॉक्स खुला रहने से नए मित्र बनते हैं। अच्छा किया।
महेन्द्र मिश्र said...
January 5, 2010 at 7:39 PM
विचार तो अच्छा है . लिखेंगे तो पाठक तो मिलेंगे ही भाई ....
Arvind Mishra said...
January 5, 2010 at 8:31 PM
welome!
संगीता पुरी said...
January 5, 2010 at 9:24 PM
इससे पहले वाला आलेख मुझे बहुत अच्छा लगा था .. पाठकों को टिप्पणियों की सुविधा तो देनी ही चाहिए !!
Randhir Singh Suman said...
January 5, 2010 at 9:31 PM
nice
Udan Tashtari said...
January 5, 2010 at 10:59 PM
आप यहीं लिखें. हिन्दी में भी पाठकों की कोई कमी नहीं.
नियमित लिखिये और टिप्पणी की चिन्ता न करें. अधिकतर पाटःअक टिप्पणी नहीं छोड़ते.
शुभकामनाएँ.
बवाल said...
January 5, 2010 at 11:03 PM
टिप्पणियों में रचनात्मक चर्चा। बड़ा कठिन काम समझ में आ रहा है भाई। हा हा। खै़र देखते हैं।
डा० अमर कुमार said...
January 5, 2010 at 11:09 PM
टिप्पणियाँ तो बहुत आवश्यक है मेरे मित्र !
निंदक नियरे राखिये, बशर्ते वह स्वयँ ही अस्वस्थ न हों ।
बिना विचार-विनिमय के कोई भी आगे कैसे बढ़ सकता है ?
लेखक - विचारक को यह जानते रहना आवश्यक है कि वह कहाँ तक सही रहा है, और कहाँ गलत ?
Anonymous said...
January 5, 2010 at 11:50 PM
पुरानी ब्लॉग पोस्ट्स पढ़नी पड़ेंगी
बी एस पाबला
उम्दा सोच said...
January 6, 2010 at 1:53 PM
ये लीजिये मैंने हिंदी में टिप्पणी कर दी ! अब आप हिंदी में ब्लॉग लिखिए !