आरम्भ



ब्लॉगिंग करने का यह मेरा पहला प्रयास नहीं है। पिछले प्रयासों की तरह यह भी कितने दिन चलेगा; कह नहीं सकता। मन में एक घुटन घर किये बैठी है और ऐसा कोई दिखाई नहीं देता कि जिससे मन की बातें कहूं तो वह समझ सके। जिस तरह के प्यार, मित्रता और सहारे की मुझे इस समय आवश्यकता है वैसी किसी शय का शायद कोई अस्तित्व इस संसार में नहीं है। इसलिये दीवारों से अपनी बात कहने का प्रयास कर रहा हूँ। एक व्यक्तिगत डायरी के तौर पर ब्लॉगिंग मूल रूप से दीवारों से बतियाना ही है। हज़ारों लोग आपके मन की बात पढ़ते हैं लेकिन वे सभी इंटरनैट की इस आभासी दुनिया का हिस्सा होते हैं। जिस तरह एक दीवार से बातें करने पर इस बात का आभास होता है कि कोई सुन और समझ रहा है; वैसा ही आभास इंटरनैट दिलाता है। लेकिन आभास तो आखिर आभास ही है। वास्तविकता से कोसों दूर।

मैं एक बेहद आम इंसान हूँ। मेरे पास कोई ऐसा हुनर नहीं है जो मेरे ऊपर परिपक्व या परिष्कृत होने का लेबल लगा सके। मेरी बस एक इच्छा है, आशा है और एक प्रयत्न है कि मैं हर दिन एक बेहतर इंसान बन सकूं। हर दिन प्यार, करुणा, ममता, मित्रता, ईमानदारी और नैतिकता जैसे गुणों को अपने भीतर और अधिक विकसित कर सकूं। अगर मैं लोहा हूँ तो इन गुणों की कीमियागिरी से अपने को सोना बना सकूं। और अगर मैं सोना हूँ तो इन गुणों की आग में तप कर कुंदन बन सकूं।

मुझे आशा है इंटरनैट की दीवार से मैं सब कह सकूंगा। मुझे पता है कि यह दीवार समझ नहीं सकती लेकिन और कुछ नहीं तो शायद यह दीवार मेरे मन और इस मन की भावनाओं की साथी बन सकेगी।

मैं इस ब्लॉग पर हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाओं में लिखूंगा। शायद अंग्रेज़ी में अधिक लिखूं; लेकिन यह मूलत: निर्भर करेगा कि मैं क्या लिखना चाहता हूँ। वर्तमान हिन्दी ब्लॉगिंग को देख कर मन दुखता है। हिन्दी ब्लॉगिंग का स्तर सामान्यत: बहुत नीचे गिर चुका है। हिन्दी ब्लॉगिंग अब सस्ती शोहरत पाने और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का ज़रिया अधिक बन गया लगता है। मैं हिन्दी-सेवक नहीं हूँ और ना ही मैं हिन्दी-प्रेमी हूँ। हिन्दी मेरी मातृभाषा है और मैं इसे अपनी अभिव्यक्ति के लिये प्रयोग करता हूँ। इससे अधिक हिन्दी से मेरा कोई जुड़ाव नहीं है (क्या इससे अधिक कोई जुड़ाव हो सकता है?)

इस ब्लॉग पर टिप्पणी करने की सुविधा देने का मेरा अभी कोई विचार नहीं है। टिप्पणियाँ पाने गहरी हार्दिक इच्छा और उसके लिये हर समय अपने ईमेल अकाउंट को चैक करते रहने की लालसा से जब तक हो सके मैं बचना चाहता हूँ।

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