कल अखबार में पढ़ा कि Slumdog Millionaire में लतिका का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री फ़्रीडा पिंटो को "नन्ही कली फ़ाउंडेशन" ने विश्व की 101 सबसे अधिक Impressive and Accomplished Women की सूची में शामिल किया है। यह संस्था बालिकाओं के उत्थान के लिये कार्य करती है। इस सूची में फ़्रीडा के अलावा चैरी ब्लेयर, शबाना आज़मी, सानिया मिर्ज़ा, इंदिरा नूयी, नैना लाल किदवई, नीता अम्बानी, सुष्मिता सेन, विद्या बलान, प्रियंका चोपड़ा और नंदिता दास के नाम भी शामिल हैं।
शोहरत की नज़र से देखा जाये तो शायद फ़्रीडा का इस सूची में होना ठीक माना जा सकता है। लेकिन फ़्रीडा ने आज तक केवल एक फ़िल्म में काम किया है। इस फ़िल्म ने संसार भर में धूम मचा दी तो इसके पीछे बहुत से कारक थे -और मेरे विचार में फ़्रीडा उनमें से एक नहीं थी। लेकिन फिर भी भाग्य देखिये कि आज फ़्रीडा की शोहरत कहाँ से कहाँ आ पँहुची है। एक अभिनेत्री के तौर पर अभी फ़्रीडा को अपने को साबित करना बाकी है।
चाहे फ़्रीडा कितनी भी मशहूर क्यों ना हो जायें लेकिन इस सूची में उनका शामिल होना बहुत अखरता है। आप उन्हें विश्व की सबसे खूबसूरत महिलाओं की सूची में शामिल कीजिये तो यह उचित ही होगा। लेकिन बालिकाओं के उत्थान के लिये काम करने वाली एक संस्था द्वारा फ़्रीडा को सबसे अधिक Impressive and Accomplished Women की सूची में शामिल किया जाना कुछ जमा नहीं। ये वही फ़्रीडा हैं जिन्होनें पैसा और शोहरत मिलते ही अपने मंगेतर, रोहन, से सगाई तोड़ कर उसे छोड़ दिया था। तब इन्होनें रोहन से, जो कि इनके साथ आठ वर्षों से था, कहा था कि अब इनके सामने एक सुनहरा अवसर है और वे इसका लाभ नहीं उठा सकेंगी अगर वे रोहन के साथ "बंधी" रहेंगी। अवसरवाद के समक्ष नैतिकता और प्रेम का कुछ भी मोल फ़्रीडा ने नहीं लगाया था। बाद में वे अपनी तरह मशहूर और कामयाब अभिनेता देव पटेल के साथ दिखाई देने लगीं। नये ज़माने की कामयाब लड़कियों के लिये ऐसी बातें शायद असाधारण ना हों लेकिन जिस व्यक्ति में इतनी भी नैतिकता हो तो ऐसा व्यक्ति और चाहे जो हो जाये लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं हो सकता। मेरे ख़्याल में बालिकाओं के उत्थान की बात करने वाली संस्था को इस प्रसंग पर विचार कर लेना चाहिये था।
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